Rig Ved 1.42.3
Pushadev here means nurturer or Narayan or Atma. Here jeev requests Parmatma to protect us from the looters on the way. Here the looter is no one else but our mind that diverts to morbid thoughts. Parmatma is requested to not only keep us away from them but also to destroy them.
ऋग्वेद १•४२•३
अप॒ त्यं प॑रिपं॒थिनं॑ मुषी॒वाणं॑ हुर॒श्चितं॑ ।
दू॒रमधि॑ स्रु॒तेर॑ज ॥
Translation:
त्वम् - That.
परिपन्थिनम् - One stopping your path.
मुषीवाणम् - Smuggler.
हुरिश्चितम् - Cheat.
स्त्रुतेः - On the path.
अधि - very much.
दूरम् - Far.
अप अज - To make one run.
Explanation: Oh Pushadev! We request you to keep us away from the looters and dacoits that we face on the way and and also destroy them.
Deep meaning: Pushadev here means nurturer or Narayan or Atma. Here jeev requests Parmatma to protect us from the looters on the way. Here the looter is no one else but our mind that diverts to morbid thoughts. Parmatma is requested to not only keep us away from them but also to destroy them.
📸 Credit-artsy_sakshi
#मराठी
ऋग्वेद १•४२•३
अअप॒ त्यं प॑रिपं॒थिनं॑ मुषी॒वाणं॑ हुर॒श्चितं॑ ।
दू॒रमधि॑ स्रु॒तेर॑ज ॥
भाषान्तर :
त्वम् - त्या.
परिपन्थिनम् - मार्ग प्रतिबंधक.
मुषीवाणम् - चोर.
हुरिश्चितम् - कपटी.
स्त्रुतेः - मार्गात.
अधि - अत्यंत.
दूरम् - दूर हून.
अप अज - पळवुन देणे.
भावार्थः हे पूषा देव ! मार्गात अडथळे आणणार-या दरोडे खोर आणि लुटारू त्यांचापासून आम्हाला दूर ठेवा आणि त्यांना नष्ट करा.
गूढार्थ: पूषा देव म्हणजे पोषण करणारा किंवा नारायण किंवा आत्मा. इथे जीव परमात्म्याला प्रार्थना करतो की मार्गात सापडणारे चोरांपासून आमचे रक्षण करावे. इथे चोर म्हणजे आमचे मन ज्याच्या मधे अनेक विकार येतात.तर परमात्म्याशी प्रार्थना करतात की त्यांने मात्र विकारांना दूर केलेच पाहिजे पण त्या विकारांना नष्ट पण केले पाहिजे.
#हिन्दी
ऋग्वेद १•४२•३
अप॒ त्यं प॑रिपं॒थिनं॑ मुषी॒वाणं॑ हुर॒श्चितं॑ ।
दू॒रमधि॑ स्रु॒तेर॑ज ॥
अनुवाद:
त्वम् - उस।
परिपन्थिनम् - मार्ग में रूकावट।
मुषीवाणम् - चोर।
हुरिश्चितम् - कपट करनेवाला।
स्त्रुतेः - पथ से।
अधि - अत्यंत।
दूरम् - दूर से।
अप अज - भगा देना।
भावार्थ:यहाँ पूषा देव से निवेदन किया जा रहा है कि वह मार्ग में रूकावट लानेवाले कुटिल चोरों से दूर रखें और उन्हें नष्ट करें।
गूढ़ार्थ:पूषा देव यानी कि पालनहार या नारायण या आत्मा।यहाँ जीव परमात्मा से प्रार्थना करता है कि मार्ग में आने वाले चोर से रक्षा करें तो यहाँ चोर है हमारा मन जिससे विकार आ सकते हैं।तो परमात्मा से निवेदन है कि वह न केवल उन विकारों को दूर रखें बल्कि उन्हें पूरी तरह से नष्ट करे ताकि हम स्वयं को जान सकें।
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