Rig Ved 1.42.8
It is Ved that will let us know what we should do and what we should avoid since we follow the path of Ved and pray through them. Ved is also called Gyan or knowledge. Here "Give us foodgrains" denote that we request for our well being and nurturing. It also says that let us know our duties, so the Parmatma sitting within us will tell us our duties, This is our request.
अ॒भि सू॒यव॑सं नय॒ न न॑वज्वा॒रो अध्व॑ने ।
पूष॑न्नि॒ह क्रतुं॑ विदः ॥
Translation:
पूषन् - Pushadev!
सुयवसम् - Beautiful grassy country.
अभि नय - To take.
अध्वने - On the path.
नवज्वारः - New Anger.
न - No.
इह - This.
क्रतुम् - Protect.
विदः - To know.
Explanation:Oh Pushadev! You take us towards a country which has plenty of foodgrains. You protect us from new difficulties on our way. You make us aware about our duties.
Deep meaning: It is Ved that will let us know what we should do and what we should avoid since we follow the path of Ved and pray through them. Ved is also called Gyan or knowledge. Here "Give us foodgrains" denote that we request for our well being and nurturing. It also says that let us know our duties, so the Parmatma sitting within us will tell us our duties, This is our request.
📸 Credit Shiva_Ganesh_Krishna
#मराठी
ऋग्वेद १•४२•८
अ॒भि सू॒यव॑सं नय॒ न न॑वज्वा॒रो अध्व॑ने ।
पूष॑न्नि॒ह क्रतुं॑ विदः ॥
भाषान्तर:
पूषन् - पूषा देव!
सुयवसम् - सुन्दर तृणयुक्त देश.
अभि नय - घेउन जाणे.
अध्वने - मार्गात.
नवज्वारः - नवीन आक्रोश
न - नाही.
इह - ह्या.
क्रतुम् - रक्षण.
विदः - जाणून घेण्यासाठी.
भावार्थ:हे पूषा देव! आम्हास धन धान्याने परिपूर्ण देशाकडे घेउन जावे.मार्गात काहीही नवीन संकट येता कामा नये. आम्हास आमच्या कर्त्तव्यांच्या जाणीव करून द्यावी .
गूढ़ार्थ: आम्ही काय करावे आणि काय नाही करावे हे विधि आणि निषेधाचा निर्धार वेदच्या मार्गाने होणार कारण की आम्ही वेद मार्गाचे अनुयायी आहोत आणि स्तुती पण वेदाच्या माध्यमातून करतो. वेदाला ज्ञान म्हटलेले आहे. आम्हास धन धान्य द्या म्हणजेच आमचे पोषण आणि संवर्धन करा.ह्याच बरोबर आम्हास आपले कर्त्तव्यांच्या ज्ञान पण करावे.हे ज्ञान आमच्या आत बसलेल्या अंतर्यामी करवून देणार की आम्ही काय करावे ही प्रार्थना केली आहे.
#हिन्दी
ऋग्वेद १•४२•८
अ॒भि सू॒यव॑सं नय॒ न न॑वज्वा॒रो अध्व॑ने ।
पूष॑न्नि॒ह क्रतुं॑ विदः ॥
अनुवाद:
पूषन् - पूषा देव!
सुयवसम् - सुन्दर पेड़ पौधों वाला देश।
अभि नय - ले जाना।
अध्वने - पथ में।
नवज्वारः - नया आक्रोश।
न - नहीं।
इह - इसमें
क्रतुम् - रक्षण को।
विदः - जानना।
भावार्थ:हे पूषा देव! आप से निवेदन है कि आप हमें अनाज से परिपूर्ण देश ओर ले चलें।यह भी ध्यान दें की राह में कोई नया संकट न आने पाए।हमें अपने कर्तव्यों का ज्ञान करायें।
गूढ़ार्थ:हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है इन हमारे कर्तव्यों के विधि और निषेध का निर्धारण वेद से होगा क्योंकि स्तुति हम वेद से होगा कर रहें हैं और वेद के मार्ग पर चल रहे है। वेद को ज्ञान कहा गया है। हमें अन्न दें इसका तात्पर्य यह है कि हमारा पोषण करें और संवर्धन करें।साथ ही हमें अपने कर्तव्यों का ज्ञान कराये यह ज्ञान हमारे अंदर बैठा अंतर्यामी करायेगा की हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है यह प्रार्थना की गई है।
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