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Writer's pictureAnshul P

RV 1.43.2

Updated: May 7, 2021


Rig Ved 1.43.2


Aditi being the mother of devta denotes complete brightness. She is full of divine qualities. There is no ignorance nor attachment,or darkness or doubt there. The mother of devtas is Para Amba(आदिशक्ति) and she is being requested as she denotes will power which is related to Reverence(श्रद्धा) and Allegiance/Loyalty. Whoever wants to attain oneness with Parmatma with worship and loyalty will also attain the completeness of Parmatma who is never short of country, period or things.


यथा॑ नो॒ अदि॑तिः॒ कर॒त्पश्वे॒ नृभ्यो॒ यथा॒ गवे॑ ।


यथा॑ तो॒काय॑ रु॒द्रियं॑।।


Translation:


अदिति: - Devta of earth.


न: - Ours.


रुद्रियम् - Medicine of Rudra.


यथा - Same.


करत् - To give.


पश्वे - For animals.


न्रभ्य - For humans.


गवे - For cows.


तोकाय - For our children.


Explanation: This mantra describes that Aditi is requested to prepare medicines for the protection of Yajmans, their children, family and cows.


Deep meaning: Aditi being the mother of devta denotes complete brightness. She is full of divine qualities. There is no ignorance nor attachment, or darkness or doubt there. The mother of devtas is Para Amba(आदिशक्ति) and she is being requested as she denotes will power which is related to Reverence(श्रद्धा) and Allegiance/Loyalty. Whoever wants to attain oneness with Parmatma with worship and loyalty will also attain the completeness of Parmatma who is never short of country, period or things.






📸 Credit - Hindu_samrajya._(Instagram handle)




#मराठी


ऋग्वेद१.४३.२


यथा॑ नो॒ अदि॑तिः॒ कर॒त्पश्वे॒ नृभ्यो॒ यथा॒ गवे॑ ।


यथा॑ तो॒काय॑ रु॒द्रियं॑।।


भाषांतर:


अदिति: - भूमी देवता.


न: - आमचे.


रुद्रियम् - रुद्राने दिलेली आहे.


यथा - जशी आहे.


करत् - देणे.


पश्वे - पशु हेतू.


न्रभ्य - मनुष्य हेतू.


गवे - गाई हेतू.


तोकाय. - आमच्या संतानांसाठी.


भावार्थ:ह्या मंत्रामधे म्हटले आहे की अदिति यजमानांसाठी, त्यांच्या संतानांसाठी, गाईंसाठी, परिवारासाठी आरोग्य संरक्षणासाठी औषधांची व्यवस्था करण्याचे निवेदन आहे.


गूढार्थ: इथे अदितीचे तात्पर्य देवतांच्या आईशी आहे. अदिती म्हणजे पूर्ण प्रकाश. त्या दैवी गुणांनी परिपूर्ण आहेत. तिथे अज्ञान नाही, मोह किंवा भ्रम नाही, तम ही नाही. देवतांची जननी पराम्बांना निवेदन करण्यात येत आहे कारण ती इच्छा शक्ती आहे. तरी श्रद्धा आणि निष्ठेने विशुद्ध त्या परमात्म्याला प्राप्त करण्यासाठी चेष्टा करणारा तिच पूर्णता प्राप्त करणार जी त्या परमात्म्यात आहे जे परमात्म्यात देशकाल किंवा वस्तूचा अभाव नाही.



#हिंदी


ऋग्वेद१.४३.२


यथा॑ नो॒ अदि॑तिः॒ कर॒त्पश्वे॒ नृभ्यो॒ यथा॒ गवे॑ ।


यथा॑ तो॒काय॑ रु॒द्रियं॑।।


अनुवाद:


अदिति: - भूमि देवता।


न: - हमारे।


रुद्रियम् - रूद्र से प्राप्त दव


यथा - जैसा है।


करत् - देना।


पश्वे - पशु हेतु।


न्रभ्य: - मानव हेतु।


गवे - गाय के हित हेतु।


तोकाय. - हमारे बच्चों हेतु।


भावार्थ:इस मंत्र में कहा गया है कि अदिति यजमान के लिए, उसकी संतानों के लिए, गौओं के लिए,परिवार के सभी के लिए आरोग्य सुरक्षा हेतु औषधियों की व्यवस्था करें।


गूढार्थ: यहां अदिति से तात्पर्य देवताओं की मां से है जिनका अर्थ पूर्ण प्रकाश से है। वे दैवी गुणों से परिपूर्ण हैं। यहाँ न अज्ञान की छाया होगी न मोह या तम या भ्रम की छाया होगी। देवताओं की जननी या पराम्बा से निवेदन किया जा रहा है क्योंकि वह इच्छा शक्ति हैं जिसका तात्पर्य श्रद्धा और निष्ठा से है।तो श्रद्धा और निष्ठा से विशुद्ध उस परमात्मा को प्राप्त करने की चेष्टा करनेवाला भी उसी पूर्णता को प्राप्त करेगा जो पूर्णता उस परमात्मा में है जिसका न किसी देश, काल और वस्तु में अभाव है।






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