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Writer's pictureAnshul P

RV 1.43.6

Updated: May 18, 2021


Rig Ved 1.43.6


Cows, horses etc were the need of ancient times. In today's time the resources are different. In this modern time, be it Materialistic, Spiritual, Aadhi daivik or Aadhi bhautik, It is Rudra who arranges it systematically. Rudra denotes our KARMENDRIYA, GYANENDRIYA, SVABHAAV, KAAL and KARM. They create a character or atmosphere and do things with strong determination. Therefore Rudra is given importance.


शं नः॑ कर॒त्यर्व॑ते सु॒गं मे॒षाय॑ मे॒ष्ये॑ ।


नृभ्यो॒ नारि॑भ्यो॒ गवे॑ ॥


Translation:


नः - Ours.


अर्वते - Horse.


मेषाय - Sheep

.


मेष्ये - Goat.


नृभ्यः - Men.


नारिभ्यः - Ladies.


गवे - For cows.


सुगम् - Easy.


शम् - Happiness.


करति - To give.


Explanation: Rudra dev is good for our horses, goat , sheep, men, women and cows.


Deep meaning: Cows, horses etc were the need of ancient times. In today's time the resources are different. In this modern time, be it Materialistic, Spiritual, Aadhi daivik or Aadhi bhautik, It is Rudra who arranges it systematically. Rudra denotes our KARMENDRIYA, GYANENDRIYA, SVABHAAV, KAAL and KARM. They create a character or atmosphere and do things with strong determination. Therefore Rudra is given importance.




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https://www.instagram.com/p/CO-yRJyrp8T/?igshid=v0hetd5q1j86




📸 Credit - har.har.mahadev_om(Instagram)


#मराठी


ऋग्वेद१.४३.६


शं नः॑ कर॒त्यर्व॑ते सु॒गं मे॒षाय॑ मे॒ष्ये॑ ।


नृभ्यो॒ नारि॑भ्यो॒ गवे॑ ॥


भाषांतर:


नः - आमचे.


अर्वते - अश्व.


मेषाय - मेष.


मेष्ये - मांढरे.


नृभ्यः - पुरुष.


नारिभ्यः - नारी.


गवे - गाई साठी.


सुगम् - सरळ.


शम् - सुख.


करति - प्रदान करणे।


भावार्थःआमच्या अश्व, मेढी, शेळी, पुरूष, नारी आणि गाईंसाठी रूद्र देव मंगलकारी आहेत.


गूढार्थ: अश्व, गाई, त्या पुरातन काळाची गरज होती .वर्तमान काळात साधने वेगळे आहेत. आधुनिक काळात ते भौतिक असो की आध्यात्मिक असो की अधिदैवीक असो किंवा आधिभौतिक असो, त्यांना रुद्रदेव व्यवस्थित ठेवतात. रुद्र म्हणजे कर्मेंद्रिये, ज्ञानेंद्रिये, कर्म, स्वभाव आणि काळ. ते एक प्रकृतीची निर्मिती करतात. त्या कार्यास दृढ निष्ठे ने निर्मित करतात. म्हणून रुद्रास महत्त्व दिले आहे.



#हिन्दी


ऋग्वेद१.४३.६


शं नः॑ कर॒त्यर्व॑ते सु॒गं मे॒षाय॑ मे॒ष्ये॑ ।


नृभ्यो॒ नारि॑भ्यो॒ गवे॑ ॥


अनुवाद:


नः - हमारे।


अर्वते - घोड़े।


मेषाय - मेष।


मेष्ये - भेंड।


नृभ्यः - पुरूषों।


नारिभ्यः - नारियां।


गवे - गाय के लिए।

सुगम् - आसान।


शम् - सुख।


करति - प्रदान करना।


भावार्थःहमारे अश्वों, मेढो, भेडों, पुरूषों, नारियों और गौओं के लिए रूद्र देव मंगलकारी हैं।


गूढार्थ:अश्व ,गौआदि उस काल विशेष की आवश्यकता थी। वर्तमान युग के साधन अलग हैं। आधुनिक काल में चाहे भौतिक, आध्यात्मिक आधिदैविक या आधिभौतिक साधन को रुद्र ही व्यवस्थित रखते हैं। रूद्र का तात्पर्य कर्मेन्द्रियाँ और ज्ञानेन्द्रियों से है, कर्म, स्वभाव और काल से है। वे एक प्रकृति का निर्माण करते हैं।उस कार्य के लिए दृढ़ निष्ठा का निर्माण करते हैं। इसलिए यहां रूद्र को प्रमुखता दी गई है।



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