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RV 1.44.10

Updated: Jun 7, 2021


Rig Ved 1.44.10


Now that the morning Sun is shining, the arkness or ignorance has gone. Sushupti has replaced awakening(To understand about 4 पद i.e जाग्रत स्वप्न, सुषुप्ति and तुरीय 👉 https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=115600290354943&id=101109158470723 ). Here the phrase village protection denotes that our whole body is like a village and all our senses are it's devtas. In the middle of this body is situated our Praan which is a fire element. So Agnidev is considered as the Purohit who is responsible for conducting everything. Therefore he is called the leader.


अग्ने॒ पूर्वा॒ अनू॒षसो॑ विभावसो दी॒देथ॑ वि॒श्वद॑र्शतः ।


असि॒ ग्रामे॑ष्ववि॒ता पु॒रोहि॒तोऽसि॑ य॒ज्ञेषु॒ मानु॑षः ॥


Translation;


विभावसो - Wealthy and influential.


अग्ने - Agnidev!


विश्वदर्शतः - To be seen by all.


पूर्वा - Past.


उषसः - Morning.


अनु - Later on.


दीदेव - Keep shining.


ग्रामेषु - From village.


अविता - Protector.


असि - To be.


यज्ञेषु - In yagya.


पुरोहितः .- Priest.


मानुषः - People.


Explanation; Oh illuminated and special Agnidev! You are visible to the whole world. You rise before the advent of mornings. You protect the Villages. People perform Puja and Yagya since you are the prime one.


Deep meaning: Now that the morning Sun is shining, the arkness or ignorance has gone. Sushupti has replaced awakening(To understand about 4 पद i.e जाग्रत स्वप्न, सुषुप्ति and तुरीय 👉 https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=115600290354943&id=101109158470723 ). Here the phrase village protection denotes that our whole body is like a village and all our senses are it's devtas. In the middle of this body is situated our Praan which is a fire element. So Agnidev is considered as the Purohit who is responsible for conducting everything. Therefore he is called the leader.






#मराठी


ऋग्वेद १.४४.१०


अग्ने॒ पूर्वा॒ अनू॒षसो॑ विभावसो दी॒देथ॑ वि॒श्वद॑र्शतः ।


असि॒ ग्रामे॑ष्ववि॒ता पु॒रोहि॒तोऽसि॑ य॒ज्ञेषु॒ मानु॑षः ॥


भाषांतर;


विभावसो - प्रभावी आणि धनवान.


अग्ने - अग्निदेव!


विश्वदर्शतः - सर्वांचे दर्शनीय.


पूर्वा - अतीत काल.


उषसः - उषा.


अनु - नंतर.


दीदेव - प्रकाशित होत राहणे.


ग्रामेषु - गावांचा.


अविता - रक्षक.


असि - असणे.


यज्ञेषु - यज्ञ चे.


पुरोहितः .- पुरोहित.


मानुषः - मानूस.


भावार्थ; हे विशिष्ट आणि प्रकाशमान अग्निदेव! आपण संपूर्ण विश्वात दर्शनीय आहात आणि आपण उषेच्या अगोदरच प्रदीप्त होऊन जातात. आपण ग्राम रक्षक आहात. माणूस आपली पूजा व यज्ञ करतो कारण आपण प्रमुख आहात.


गूढ़ार्थ; उष: काल आल्यावर अंधार समाप्त झाला, सुषुप्ति संपली आणि आम्ही पूर्ण रूपाने जागृत झालो, इथे ग्राम रक्षाचा आध्यात्मिक अर्थ आहे की आमचे शरीर एक ग्राम आहे आणि इंद्रियें ह्यातले देव आहेत, शरीराच्या मध्य भागी स्थित हृदय प्राण हे ते अग्नीतत्व असून तो सर्वांचे संचालन करतो, अग्निदेव पुरोहित असून ते प्रमुख आहेत म्हणून त्यांना नेता म्हटले आहे,




#हिन्दी


ऋग्वेद १.४४.१०


अग्ने॒ पूर्वा॒ अनू॒षसो॑ विभावसो दी॒देथ॑ वि॒श्वद॑र्शतः ।


असि॒ ग्रामे॑ष्ववि॒ता पु॒रोहि॒तोऽसि॑ य॒ज्ञेषु॒ मानु॑षः ॥


अनुवाद;


विभावसो - प्रभावशाली और धनवान।


अग्ने - अग्निदेव!


विश्वदर्शतः - दर्शनीय।


पूर्वा - भूतकाल से।


उषसः - उषा के।


अनु - बाद में।


दीदेव - चमकते रहें।


ग्रामेषु - गॉंवों में।


अविता - रक्षक।


असि - होना।


यज्ञेषु - यज्ञ के।


पुरोहितः .- पुरोहित।


मानुषः - मनुष्य।


भावार्थ; हे विशिष्ट और प्रकाशवान अग्निदेव! आप विश्व भर में देखे जा सकते हैं और आप उषा से पूर्व ही प्रदीप्त हो जाते हैं। आप ग्रामो की रक्षा करते हो। आपकी पूजा यज्ञ और मानव में अग्रणी या नेता होने के लिए की जाती है।


गूढ़ार्थ; अब उषाकाल में अंधकार समाप्त हो गया, सुषुप्ति समाप्त हो गई । हम पूर्ण रूप से जागृत हैं।आध्यात्मिक दृष्टि से यहाँ ग्राम की रक्षा से तात्पर्य है कि हमारा सम्पूर्ण शरीर एक ग्राम है और इंद्रियां उसके देवता। शरीर के मध्य हृदय में स्थित प्राण है जो अग्नि तत्व है। अग्निदेव ही वह पुरोहित हैं जो सब संचालित करते हैं। इसीलिए उन्हें नेता भी कहा गया है।



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