Rig Ved 1.45.1
अनुदान (Grant) means a special type of favour. Charity is a common sort of thing given to anyone. But अनुदान (Grant) is a deed given to a person to make him happy and here is a divine grant given with the divine powers of Agnidev. In Yagya this means that whatever painful work is there, it gets destroyed. Aadhibhautik means that he destroys our difficulties. Aadhidaivik means to show us the proper path so that we are away from sorrows and attachments.
त्वम॑ग्ने॒ वसूँ॑रि॒ह रु॒द्राँ आ॑दि॒त्याँ उ॒त ।
यजा॑ स्वध्व॒रं जनं॒ मनु॑जातं घृत॒प्रुषं॑ ॥
Translation;
अग्ने - Agnidev!
त्वम् - You.
इह - This.
वसून - Vasu.
रूद्रान् - Rudra.
आदित्यान् - Aditya.
यज - To pray.
उत - And.
स्वध्वरम् - Beautiful Yagya.
मनुजातम् - With Manu.
घृतप्रुषम् - To irrigate.
जनम् - Of people.
Explanation; Oh Agnidev! You perform Yagya to make Aditya, Vasu and Rudra happy. You are also requested to grant and honour the children of Manu.
Deep meaning; अनुदान (Grant) means a special type of favour. Charity is a common sort of thing given to anyone. But अनुदान (Grant) is a deed given to a person to make him happy and here is a divine grant given with the divine powers of Agnidev. In Yagya this means that whatever painful work is there, it gets destroyed. Aadhibhautik means that he destroys our difficulties. Aadhidaivik means to show us the proper path so that we are away from sorrows and attachments.
#मराठी
ऋग्वेद १.४५.१
त्वम॑ग्ने॒ वसूँ॑रि॒ह रु॒द्राँ आ॑दि॒त्याँ उ॒त ।
यजा॑ स्वध्व॒रं जनं॒ मनु॑जातं घृत॒प्रुषं॑ ॥
भाषांतर;
अग्ने - अग्निदेव!
त्वम् - आपण.
इह - ह्या.
वसून - वसु.
रूद्रान् - रूद्र.
आदित्यान् - आदित्य.
यज - यजन.
उत - आणि.
स्वध्वरम् - सुंदर यज्ञ.
मनुजातम् - मनु द्वारे
घृतप्रुषम् - जल सिंचन करणारा.
जनम् - लोकांच्या.
भावार्थ;हे अग्निदेव! आपण वसु, आदित्य आणि रुद्र देवतांना प्रसन्न करण्यासाठी सुंदर यज्ञ करत आहात, आपण तुपाची आहुती देऊन श्रेष्ठ यज्ञ करणाऱ्या मनुच्या संतानाना अनुदान देऊन सन्मान करावा,
गूढार्थ; अनुदानाचा अर्थ असतो विशेष प्रकाराची कृपा, दान तरी साधारण वस्तूं साठी दिलेला जातो, विशेष रूपाने प्रसन्न करण्यासाठी अनुदान दिले जाते,इथे अनुदान देणारी दैवी शक्ती अग्निदेवाची आहे, यज्ञात विशेष अनुदान हेच होते की त्यांनी आम्हास अचूक मार्ग दाखवावे आणि दुःख देणारे कार्य नष्ट करावे, आधिभौतिक म्हणजे हे असणार की मार्गातिल अडथले नष्ट करण्यात यावे. आधिदैविक म्हणजे आम्हाला अचूक मार्ग दाखवून रोग आणि मोह नष्ट करावे.
#हिन्दी
ऋग्वेद १.४५.१
त्वम॑ग्ने॒ वसूँ॑रि॒ह रु॒द्राँ आ॑दि॒त्याँ उ॒त ।
यजा॑ स्वध्व॒रं जनं॒ मनु॑जातं घृत॒प्रुषं॑ ॥
अनुवाद;
अग्ने - अग्निदेव!
त्वम् - आप।
इह - इस।
वसून - वसुओं।
रूद्रान् - रूद्रो।
आदित्यान् - आदित्य।
यज - यजन।
उत - और।
स्वध्वरम् - सुंदर यज्ञ।
मनुजातम् - मनु द्वारा।
घृतप्रुषम् - पानी सींचने वाले।
जनम् - लोगों का भी।
भावार्थ;हे अग्निदेव! आप वसु, आदित्य और रुद्र देवताओं को प्रसन्न करने के लिए सुंदर यज्ञ करनेवाले हो। आप घी की आहुति से श्रेष्ठ यज्ञ करनेवाले मनु की संतानों को अनुदान द्वारा सत्कृत करें।
गूढ़ार्थ; अनुदान का अर्थ हो गया विशेष प्रकार की कृपा। दान तो साधारण वस्तु के लिए दिया जाता है। विशेष तौर से प्रसन्न करने के लिए अनुदान दिया जाता है। यहां अनुदान देने वाली दैवी शक्ति अग्निदेव की है। यज्ञ में विशेष अनुदान यही होगा कि हमेंं सही मार्ग दिखाएं और हमारे द्वारा जो पीड़ादायक कार्य है उसे नष्ट करें। आधिभौतिक वो होगा कि मार्ग में जो विध्न बाधाएँ हैं उन्हें नष्ट करें। आधिदैविक ये होगा कि हमको सही मार्ग दिखाएं की हमारा रोग और मोह नष्ट हो जाए।
📸 Credit - A_Grimmahajan
Comments