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  • Writer's pictureAnshul P

RV 1.45.5


Rig Ved 1.45.5


In the past many of Kanv clan had worshipped Agnidev to get his protection, similarly we too want to get illuminated. Singing hymns, devotion and prayers are divine wealth, we aspire for the same from Paramatma.


घृता॑हवन संत्ये॒मा उ॒ षु श्रु॑धी॒ गिरः॑ ।


याभिः॒ कण्व॑स्य सू॒नवो॒ हवं॒तेऽव॑से त्वा ॥


Translation:-


धृताहवन - Worshipped with ghee.


सन्तये - The reward giver Agni.


कण्वस्य - Of Kanva.


सुनचः - Son.


याभिः - Whose.


अवसे - For our protection.


त्वा - You.


हवन्ते - To call.


इमाः - This.


गिरः - Through strotra.


उ - This only.


सु श्रृधि - To listen.


Explanation; Oh Agnidev worshipped through Ghee! The sons of Kanva are worshipping you through the offerings for their protection. Please listen to them.


Deep meaning: In the past many of Kanv clan had worshipped Agnidev to get his protection, similarly we too want to get illuminated. Singing hymns, devotion and prayers are divine wealth, we aspire for the same.


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📸 Credit - Artist_Narender(Instagram handle)


#मराठी


ऋग्वेद १.४५.५



घृता॑हवन संत्ये॒मा उ॒ षु श्रु॑धी॒ गिरः॑ ।


याभिः॒ कण्व॑स्य सू॒नवो॒ हवं॒तेऽव॑से त्वा ॥


अनुवाद;


धृताहवन - घ्रुताने आहूत.


सन्तये - फलप्रद अग्नि.


कण्वस्य - कण्वाचे.


सुनचः - पुत्र.


याभिः - ज्याने.


अवसे - आपल्या सुरक्षेसाठी.


त्वा - आपण.


हवन्ते - बोलवणे.


इमाः - ह्या.


गिरः - स्तोंत्रां द्वारे.


उ - पण।


सु श्रृधि - ऐकणे.


भावार्थ;हे घृताच्या आहुतीने पूजनीय होणारे अग्निदेव! कण्वचे वंशज आपल्या सुरक्षेसाठी जी स्तुती करत आहेत ती आपण अवश्य ऐकावी।


गूढार्थ; पूर्वी सर्वाने आपल्या सुरक्षितते साठी व अग्निदेवांना प्रसन्न करण्यासाठी स्तुती केलेली होती, त्याच प्रमाणे आम्ही पण स्वतःस प्रकाशित करू, स्तुती, भक्ती, प्रार्थना हे सर्व दैवीय संपत्ती आहे, त्या साठी आम्ही प्रार्थना करीत आहोत.




#हिंदी


ऋग्वेद १.४५.५



घृता॑हवन संत्ये॒मा उ॒ षु श्रु॑धी॒ गिरः॑ ।


याभिः॒ कण्व॑स्य सू॒नवो॒ हवं॒तेऽव॑से त्वा ॥


अनुवाद;


धृताहवन - घी से आहूत होनेवाले।


सन्तये - फलदायक अग्नि।


कण्वस्य - कण्व के।


सुनचः - पुत्र।


याभिः - जिनसे।


अवसे - अपनी सुरक्षा।


त्वा - आप।


हवन्ते - बुलाते हैं।


इमाः - इस।


गिरः - स्तोत्र द्वारा।


उ - भी।


सु श्रृधि - सुनना।


भावार्थ;हे घृत की आहुति को ग्रहण करनेवाले अग्निदेव! कण्व के वंशज अपनी सुरक्षा हेतु जो स्तुति कर रहें हैं, उसे आप अवश्य सुनें।


गूढ़ार्थ:-पूर्व में सबने अपनी सुरक्षा हेतु अग्निदेव को प्रसन्न करने के लिए स्तुति की थी, उसी प्रकार हम भी प्रकाशित हो जाएं। स्तुति, प्रार्थना, भक्ति ये सब दैवीय संपत्ति है, उसीके लिए यहां प्रार्थना की गई है।

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