Rig Ver 1.46.13
There is no restriction on Ashwini Kumar to travel either in day or night to accept the offerings. He is accompanied by Devi Usha. Doctors can travel in any emergency uninterrupted as we cannot impose restrictions on them. The mind is happy to hear the news of their arrival. All ignorance is destroyed.
यु॒वोरु॒षा अनु॒ श्रियं॒ परि॑ज्मनोरु॒पाच॑रत् ।
ऋ॒ता व॑नथो अ॒क्तुभिः॑
Translation:
शंभू - Oh the happiness giving Ashwini!
मानुष्वत् - Like Manu.
विवस्वत - Assistant to Yajman.
ववसाना- One who stays home.
सोमस्य - Of Som.
पीत्या - To drink.
गिरा - For stuti.
आ गतम् - To go.
Explanation Oh Ashwini Kumars! You are the one who goes around everywhere. God Usha dev is also following you . You take offerings in the night.
Deep meaning: There is no restriction on Ashwini Kumar to travel either in day or night to accept the offerings. He is accompanied by Devi Usha. Doctors can travel in any emergency uninterrupted as we cannot impose restrictions on them. The mind is happy to hear the news of their arrival. All ignorance is destroyed.
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#मराठी
ऋग्वेद १.४६.१४
यु॒वोरु॒षा अनु॒ श्रियं॒ परि॑ज्मनोरु॒पाच॑रत् ।
ऋ॒ता व॑नथो अ॒क्तुभिः॑
भाषांतर
शंभू - हे सुख देणारे अश्विनो!
मानुष्वत् - मनुसारखे.
विवस्वति - यजमानांसाठी परिचारक.
ववसाना - घरात राहणे.
सोमस्य - सोमासाठी.
पीत्या - प्राशन साठी.
गिरा - स्ततीसाठी.
आ गतम् - जाण्यासाठी.
।
भावार्थ;हे अश्विनी कुमारानो!आपण चारही बाजूने गमन करणारे देवता आहात, आपण दोघ्यांची शोभाच्या मागे उषा देव अनुगमन करीत आहेत, आपण रात्रि मध्ये पण यज्ञाची हवी ह्याचे सेवन करतात।
गूढार्थ;अश्विनी कुमारांवर असले काही ही बंधन नाही की त्यानें मात्र दिवसात अथवा रात्रीच्या वेळेत आहूती ग्रहण करावी, त्यांचे बरोबर देवी उषा पण आहेत, त्यांची गति अव्याहत असते म्हणजे ते कुठे पण जाऊ शकतात, डॉक्टरांच्या वर आपातकाली काही ही प्रतिबंध लावता येत नसतो, आता त्यांच्या येण्याची सूचना मिळाली म्हणून मन प्रसन्न झाला, समस्त अज्ञान मिटून गेलं
#हिन्दी
ऋग्वेद १.४६.१४
यु॒वोरु॒षा अनु॒ श्रियं॒ परि॑ज्मनोरु॒पाच॑रत् ।
ऋ॒ता व॑नथो अ॒क्तुभिः॑
अनुवाद:
शंभू - जो सुखदेनेवाले वो अश्विनी कुमार!
मानुष्वत् - मनु की तरह।
विवस्वति - परिचारक यजमान के।
ववसाना -घर पर रहनेवाले।
सोमस्य - सोम के।
पीत्या - पीने के।
गिरा - स्तुति के लिए।
आ गतम् - जाना।
भावार्थ;हे अश्विनी कुमारो! आप घूम घूम कर गमन करनेवाले के पीछे उषा देव भी अनुगमन कर रहे हैI आप रात्रि को भी यज्ञ का सेवन करते हैं।
गूढार्थ-अश्विनी कुमार के लिए यह कोई बंधन नही है कि वे केवल दिन या रात में ही आहूति ग्रहण करे।उनके साथ देवी उषा भी साथ में हैं।इनकी गति अव्याहत है अर्थात जहां चाहें, वहां पहुँच जाएं।आपातकाल में तो हम इसलिए इनपर कोई प्रतिबंध नही लग सकते। अब तो उनके आने की सूचना मिल जाने से मन भी आल्हादित है। सारा अज्ञान मिट गया।
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