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Writer's pictureAnshul P

RV 1.46.15


Rig Ved 1.46.15


As per scriptures we should never indulge in any negligent assimilation as it is termed as death. Anhangwadi or Humbleness, without laziness, without pride for the Karmas that you perform, these are the things that Parmatma accepts.


उ॒भा पि॑बतमश्विनो॒भा नः॒ शर्म॑ यच्छतं ।

अ॒वि॒द्रि॒याभि॑रू॒तिभिः॑ ॥


Translation


अश्विना - Oh Ashwini Kumar's!


उभा - Both.


पिबतम - To drink.


अविद्रियाभि - To widen or pave way.


ऊतिभिः - To protect.


नः - We.


यच्छतम - To give.


Explaination:- Oh Ashwini Kumar's ! You both come to drink Somras.Leaving laziness aside you protect us and make us happy.


Deep meaning:- As per scriptures we should never indulge in any negligent assimilation as it is termed as death. Anhangwadi or Humbleness, without laziness, without pride for the Karmas that you perform, these are the things that Parmatma accepts.





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📷 Credit - Rajesh Nagulakonda


#मराठी


ऋग्वेद १.४६.१५


उ॒भा पि॑बतमश्विनो॒भा नः॒ शर्म॑ यच्छतं ।

अ॒वि॒द्रि॒याभि॑रू॒तिभिः॑ ॥


भाषान्तर


अश्विना -हे अश्विनी कुमारानो!


उभा - दोघे,


पिबतम - प्राशन करणे


अविद्रियाभि - प्रशस्त


ऊतिभिः - रक्षण द्वारे


नः - आम्ही


यच्छतम - प्रदान करणे


भावार्थ अश्विनी कुमारानो!आपण दोघे सोमरसाचा प्राशन करावे,आलस्य सोडून आमचे रक्षण करून आम्हास सुखी करावे,


गूढार्थ:कधी ही प्रमाद करायचा नसतं कारण शास्त्रात त्यास मृत्यू म्हणतात। अनहंगवादी अथवा अहंकार रहित , मुक्तसंग, कर्मासक्ती रहित व आलस्य रहित केलेला कार्य ईश्वरास स्वीकार्य आहे।



#हिंदी


ऋग्वेद १.४६.१५


उ॒भा पि॑बतमश्विनो॒भा नः॒ शर्म॑ यच्छतं ।

अ॒वि॒द्रि॒याभि॑रू॒तिभिः॑ ॥


अनुवाद


अश्विना: - हे अश्विनी कुमारों!


उभा - दोनों।


पिबतम - पीजिये।


अविद्रियाभि - प्रशस्त।


ऊतिभिः - रक्षा द्वारा।


नः - हम।


शर्म - सुख।


यच्छतम - प्रदान करना।


भावार्थ:हे अश्विनी कुमारों! आप दोनों सोमरस का पान कीजिये। बिना आलस्य के हमारी रक्षा करके हमे सुख दीजिये।


गूढार्थ:कभी भी प्रमाद नही करना चाहिए क्योंकि प्रमाद को मृत्यु कहा गया है।अनहंगवादी या अहंकार रहित, मुक्तसंग कर्मासक्ति से तथा आलस्य रहित होकर किया गया कार्य ही स्वीकार्य है।


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