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Writer's pictureAnshul P

RV 1.46.9


Rig Ved 1.46.9


The Puja materials have been kept for Ashwini Kumars for them to consume this Bhog or Blessed meal. Where will they be appearing for this? They can consume this wherever they appear.


दि॒वस्क॑ण्वास॒ इंद॑वो॒ वसु॒ सिंधू॑नां प॒दे ।

स्वं व॒व्रिं कुह॑ धित्सथः ॥


Translation:


कण्वासः - Oh the son of Kanv!


दिवः - In Dhyulok.


इन्दवः - Coming of Rays.


सिन्धुनाम् - Malleable with water.


पदे - In space.

वसु - Residence.


स्वम् - Ours.


वव्रिम - For beauty.


कुह - Where.


धित्सथः - To establish.


Explanation:-The Somras prepared by the descendants of Kanv is full of divinity. The river banks are full of riches. Oh Ashwini Kumars! Which place will you prefer to exhibit your swarup.


Deep meaning:-The Puja materials have been kept for Ashwini Kumars for them to consume this Bhog or Blessed meal. Where will they be appearing for this? They can consume this wherever they appear.


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📷 Credit - Dheena_tn07


#मराठी


ऋग्वेद १.४६.९


दि॒वस्क॑ण्वास॒ इंद॑वो॒ वसु॒ सिंधू॑नां प॒दे ।

स्वं व॒व्रिं कुह॑ धित्सथः ॥


भाषांतर:


कण्वासः - हे कणव पुत्र!


दिवः - द्युलोकहून।


इन्दवः - किरणांचा प्रादुर्भाव।


सिन्धुनाम् - स्यंदन स्वभावाचे जल


पदे - अंतरिक्षात


वसु - निवास भूत


स्वम् - आपले


वव्रिम - रुपाला


कुह - कुठे


धित्सथः - स्थापित करणे


भावार्थ:कण्वांचे वंशज ह्यांच्या हस्ते तयार केलेले सोमरस दिव्येते ने परिपूर्ण आहे. नद्यांचे किनाऱ्या वर ऐश्वर्या विखरलेले आहे. हे अश्विनी कुमारानो! आपण आपले स्वरूप कुठे प्रदर्शित करू इच्छिता.


,गूढार्थ:अश्विनी कुमार ह्यांच्यासाठी पूजेची सामग्री ठेवलेली आहे भोग लावण्यासाठी, ह्यासाठी ते कुठे प्रकट होतील? जिथे पण प्रकट होतील ते तिथेच भोग लावू शकतात.



#हिन्दी


ऋग्वेद १.४६.९


दि॒वस्क॑ण्वास॒ इंद॑वो॒ वसु॒ सिंधू॑नां प॒दे ।

स्वं व॒व्रिं कुह॑ धित्सथः ॥


अनुवाद:


कण्वासः - हे कण्व पुत्रो!


दिवः - द्युलोक से।


इन्दवः - किरणों का आना।


सिन्धुनाम् - स्यन्दन स्वभाव वाला पानी।


पदे - अंतरिक्ष में।


वसु - निवास भूत।


स्वम् - अपने।


वव्रिम - रूप को।


कुह - कहाँ।


धित्सथः - स्थापित करना।


भावार्थ:-कण्व के वंशजों द्वारा तैयार सोमरस दिव्यता से परिपूर्ण है।प्रत्येक नदी के किनारे पर ऐश्वर्य बिखरा हुआ है। हे अश्विनी कुमारों! अब आप अपना स्वरूप कहाँ प्रदर्शित करना चाहेंगे?


गूढार्थ:अश्विनी कुमारों के लिए पूजा की सामग्री रखी हुई है ताकि वे भोग लगा लें। इसके लिए वे कहाँ प्रकट होंगे। जहां भी वे प्रकट होंगे वहीं वे भोग लगा लें।

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