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Writer's pictureAnshul P

RV 1.47.2


Rig Ved 1.47.2


Spirituality depends on three factors in the inner self. They are मन (Mind), बुद्धि (Intelligence) and चित्त (Inner inclination),which all need to be purified. If Mind is involved with vices then our Intelligence will not rise.Our knowledge will be impure. Chitta is fickle then there will no understanding. These three dependents are it's support which help in cleansing and purifying. It brings out our pure Psyche making it equal. All the prejudices will go away then we can say that we have drunk Somras.


त्रि॒वं॒धु॒रेण॑ त्रि॒वृता॑ सु॒पेश॑सा॒ रथे॒ना या॑तमश्विना ।

कण्वा॑सो वां॒ ब्रह्म॑ कृण्वंत्यध्व॒रे तेषां॒ सु शृ॑णुतं॒ हवं॑ ॥


Translation:


अश्विना - Oh Ashwini Kumars!


त्रिवन्धुरें - Tied three sides with wood.


त्रिवृत्ता - Triangle.


सुपेशसा -With gold.


रथें - By chariot.


या यातम - Come.

कण्वस - Son of Kanva.


वाम - Both.


अध्वरे - In Yagya.


ब्रह्म - Mantra with Stotra.


कृण्वन्ती - To do.


तेषाम - Theirs.


हवम - To call out.


सु श्रुवन्तम - Listen respectfully.


Explanation: Oh Ashwini Kumar's! You come here in a triangular and beautiful chariot. The sons of Kanva are worshipping you with strotra along with mantras. You listen to their call.


Deep meaning: Spirituality depends on three factors in the inner self. They are मन (Mind), बुद्धि (Intelligence) and चित्त (Inner inclination),which all need to be purified. If Mind is involved with vices then our Intelligence will not rise.Our knowledge will be impure. Chitta is fickle then there will no understanding. These three dependents are it's support which help in cleansing and purifying. It brings out our pure Psyche making it equal. All the prejudices will go away then we can say that we have drunk Somras.






#हिन्दी


ऋग्वेद१.४७.२


त्रि॒वं॒धु॒रेण॑ त्रि॒वृता॑ सु॒पेश॑सा॒ रथे॒ना या॑तमश्विना ।

कण्वा॑सो वां॒ ब्रह्म॑ कृण्वंत्यध्व॒रे तेषां॒ सु शृ॑णुतं॒ हवं॑ ॥


अनुवाद:


अश्विना - हे अश्विनो!


त्रिवन्धुरें - विविध लकड़ी के बंधन।


त्रिवृत्ता - तीनो लोकों में।


सुपेशसा - स्वर्ण युक्त।


रथें - रथ के साथ।


या यातम - आना।


कण्वस - कण्व पुत्र या मेधावी ऋत्विक।


वाम - दोनों के लिए।


अध्वरे - यज्ञ में।


ब्रह्म - स्त्रोत्र रूपी मन्त्र।


कृण्वन्ती - करना।


तेषाम - उनके।


हवम - आव्हान करना।


सु श्रुवन्तम - आदर के साथ सुनना।


भावार्थ:हे अश्विनी कुमारों! आप त्रिकोणीय, तीन अवलम्बनयुक्त सुंदर रथ पर बैठकर यहां आएं।यज्ञ में कण्व के वंशज आपके लिए मंत्रोच्चार सहित स्तुति कर रहें हैं।यज्ञकर्ता यजमानो को धन और ऐश्वर्या प्रदान करें।

गूढार्थ; यहां आध्यात्म के तीन अवलंबन से तात्पर्य है अन्तःकरण में मन बुद्धि और चित्त है जिनका शुद्धिकरण आवश्यक है।मन अगर विषयो में आसक्त है तो बुद्धि को उठने नही देगा और बुद्धि मलिन है तो वह समझ नहीं पाएगी।चित्त चंचल है ।ये तीन अवलम्बन तीन ही आधार हैं। तीन आधार से हमारा मिथ्या अहम विगलित हो जाएगा। तब हमारा शुद्ध कारण रूप में प्रकट हो जाएगा।उसके प्रकाशित होने से चित्त में समता आ जाएगी।तो वह सब आग्रह दुराग्रह को त्याग दे वही सोमरस पान करना कहलाता है।


#मराठी



ऋग्वेद१.४७.२


त्रि॒वं॒धु॒रेण॑ त्रि॒वृता॑ सु॒पेश॑सा॒ रथे॒ना या॑तमश्विना ।

कण्वा॑सो वां॒ ब्रह्म॑ कृण्वंत्यध्व॒रे तेषां॒ सु शृ॑णुतं॒ हवं॑ ॥



भाषान्तर:


अश्विना - हे अश्विनी कुमारानो!


त्रिवन्धुरें -विविध बंधन आणि काष्ठा चे,


त्रिवृत्ता - त्रिकोण.


सुपेशसा - स्वर्णयुक्त,


रथें - रथा द्वारे,


या यातम - यावे,


कण्वस - कणवाचे पुत्र,


वाम - दोघांसाठी,


अध्वरे - यज्ञात,


ब्रह्म - स्तोत्र रुपी मन्त्र


कृण्वन्ती - करणे.


तेषाम - त्यांचे.


हवम - आवाहन करणे.


सु श्रुवन्तम - आदरपूर्वक ऐकणे.


भावार्थ:,हे अश्विनी कुमारानो!आपण त्रिकोणी आणि तीन वृत्त युक्त सुशोभित रथावर बसून इथे यावेत,यज्ञात कणवाचे वंशज आपल्यासाठी मन्त्र युक्त स्तुती करत आहेत। त्यांच्या आवाहनास ऐकावे.


गूढार्थ:इथे अध्यात्मातील अंतःकरणात तीन अवलंबन आहेत मन बुद्धी आणि चित्त ज्यांची शुद्धी आवश्यक आहे, मन जर विषयांवर आसक्त राहील तर त्यांनी बुद्धी विकसित होणार नाही,जर बुद्धी मलिन आहे तर त्यात समज नसणार,चित्त चंचल असतो, हे तिघे अवलंबन तीन आधार आहेत, ह्या आधारांमुळे आमचे अहंकार विगळीत होऊन जाणार, तेव्हा आमचे शुद्ध स्वरूप प्रकट होणार, ते प्रकाशित झाल्यावर चित्त मध्ये समता येईल।सगळे आग्रह दुराग्रह ह्यांचे ह्रास होते तेव्हा म्हटले जातो की सोमरसचे प्राशन झाले.


📷 Shrishti mam

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