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Writer's pictureAnshul P

RV 1.5.3

Rig Ved 1.5.3


स घा नो योग आ भुवत्स राये स पुरंध्यां ।

गमद्वाजेभिरा स नः ॥


Translation:-


स - That(Here 'That' means its taken from previous 2 mantras).


घा - For Sure.


नो - For us.


योग - Not received the outcome inspite of the efforts put in.


आ + भुवत्स:-

A}भुवत् - Work Done.

B}स - That(For Indra dev).


राये - To become that person who gives Wealth.


स - That(For Indra dev).


पुरंध्यां - One who bestows variety of knowledge.


गमद्वाजेभिरा:-

A} गमद्व - Come.

B}वाजेभि - With foodgrains.

स- That(For Indra dev).

नः - For us.


Explanation:-

Ohh Indra dev! We along with all Devotees request and pray to you that all our efforts should not go in vain so please do come surely with lots of wealth and foodgrain. Also bestow on us with different types of knowledge and come close to us.



#मराठी


ऋग्वेद १.५.३


स घा नो योग आ भुवत्स राये स पुरंध्यां ।

गमद्वाजेभिरा स नः ॥


भाषांतर :-


स - ते किंवा तो (मागील दोन श्लोकातुन).


घा - नक्की.


नो - आमच्यासाठी.


योग - पुरूषार्थ निष्फल रहाणे.


आ + भुवत्स:-

A}भुवत् - कार्य संपन्न होणे.

B}स - ते(इंद्रदेव साठी ).


राये - धन वैभव देणारा.


स - ते(इंद्रदेव साठी).


पुरंध्यां - अनेक प्रकारचे ज्ञान देणारा .


गमद्वाजेभिरा:-

A}गमद्व - यावे.

B}वाजेभि - धन धान्या सोबत.

स- ते(इंद्रदेव साठी ).

नः - आमच्यासाठी.


भावार्थ:-

हे इंद्रदेव! आम्ही सर्व यजमान एकत्रित होउन आपल्याला प्रार्थना करतो की आमचा पुरूषार्थ नक्कीच सफल करा आणी आपण इथे अवश्य यावे. सोबत धन, धान्य आणी वेगवेगळ्या प्रकार चे ज्ञान घेयून आमच्या जवळ यावे.



#हिंदी


ऋग्वेद १.५.२


स घा नो योग आ भुवत्स राये स पुरंध्यां ।

गमद्वाजेभिरा स नः ॥


Translation:-


स - वह(पहले वाले 2 मंत्र)।


घा - अवश्य/निश्चित।


नो - हम लोगो के लिये।


योग - अप्राप्त पुरुषार्थ के संबंध मे।


आ + भुवत्स:-

A}भुवत् - हुवे।

B}स - वही (इंद्र देव के लिये)।


राये - धन देने वाले होवें।


स - वही (इंद्र देव के लिये)।


पुरंध्यां - अनेक प्रकार की बुद्धियों को देने वाले होवें।


गमद्वाजेभिरा:-

A} गमद्व - आईये।

B}वाजेभि - अन्नो के साथ।

स- वही (इंद्र देव के लिये)।

नः - हम लोगो के लिये।


भावार्थ:-

हे इंद्र देव हमारे पुरुषार्थ को प्रखर बनाने में सहायक होइये। हमे धन और धान्य से परिपूर्ण करे। तथा हमारे निकट आके ज्ञान प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करे।




https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1080866841306763264?s=19

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