Rig Ved 1.6.9
अतः परिज्मन्ना गहि दिवो वा रोचनादधि ।
समस्मिन्नृंजते॒ गिरः ॥
Translation:-
1)अतः - From the space (Sky).
2)परिज्मन्ना - Found every where around (For Marudhgans).
3)आ +गहि - Come(Because).
4) वा+दिव: - Either from Dhyu(Shining luminous)lok.
5)रोचनादधि - Either from Surya lok.
समस्मिन्नृंजते॒ :-
A}सम् ,ऋञ्जते - In all Aspects.
B}अस्मिन - In this Yagya karma(By the Yajmaan)
गिरः - Singing, Chanting and praising.
Explanation:-
Here Marudhgans are being invited by Devotees in the Yagya place. Marudhgans are requested to come here at the Yagya whether they may be in Space, Dhyu lok or Surya lok and listen to the song of praise sung by the devotees.
#हिंदी
ऋग्वेद १.६.९
अतः परिज्मन्ना गहि दिवो वा रोचनादधि ।
समस्मिन्नृंजते॒ गिरः ॥
भाषांतर :-
अ)अतः - ह्या अंतरिक्षातून.
ब)परिज्मन्ना - सर्व जागी व्याप्त असणारे ( मरूदगणाम साठी ).
स)आ +गहि - यावे(कारण की).
ड) वा+दिव: - किंवा द्युलोक(कांतीमान)लोक.
इ)रोचनादधि - किंव्हा सूर्य लोकातून.
समस्मिन्नृंजते॒ :-
अ}सम् ऋञ्जते - सम्यक रूपात.
ब}अस्मिन - ह्या यज्ञ कर्मात(यजमानांकडुन)
गिरः - स्तुतिगायन.
भावार्थ :-
मरूदगणाना संबोधित करून म्हटला आहे की आपण कुठे पण असाल परन्तु ह्या स्तुति गान एकण्यासाठी आपल्याला यज्ञ स्थळावर यावा लागणार. आपण अंतरिक्षात असणार केंव्हा द्युलोकात असणार किंवा सूर्य लोकात,ह्या यज्ञ स्थळ वर यावे.
ऋग्वेद 1.6.9
अतः परिज्मन्ना गहि दिवो वा रोचनादधि ।
समस्मिन्नृंजते॒ गिरः ॥
अनुवाद :-
अ)अतः - इस अंतरिक्ष लोक से।
ब)परिज्मन्ना - सर्व स्थान पर व्याप्त (मरूदगण के लिये)।
स)आ +गहि - आइए(क्योंकि ).
ड) वा+दिव: - अथवा द्युलोक(कांतीमान)से।
इ)रोचनादधि - अथवा सूर्य लोक से।
समस्मिन्नृंजते॒ :-
अ}सम् ,ऋञ्जते - सम्यक रूप से।
ब}अस्मिन - इस यज्ञ कर्म में(यजमान द्वारा )
गिरः - स्तुति गान।
भावार्थ :-
मरूदगणो को संबोधित करते हुए कहा गया है कि इस यज्ञ कर्म में यजमानो द्वारा किये जा रहे स्तुति गान को सुनने के लिये वे चाहें अंतरिक्ष में है अथवा द्युलोक या सूर्य लोक में हैं, इस स्तुति गान को सुनने के लिये उन्हें यहां उपस्थित रहना पडेगा।
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