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Rv 1.7.2

  • Writer: Anshul P
    Anshul P
  • May 1, 2020
  • 2 min read

Rig ved 1.7.2


इंद्र इद्धर्योः सचा संमिश्ल आ वचोयुजा ।

इंद्रो वज्री हिरण्ययः ॥



इंद्र - Indra.


हर्योः - the two horses named as hari.


सचा - Together.


आ+ संमिश्ल - one who harnesses.



वचोयुजा - a word from indra gets the horse to harness .


इंद्रो - The horses named as Hari of indra dev.


वज्री - one bearing the weapon named vajra.


हिरण्ययः - the one decorated with with jewels .


Explanation:-The 2 bejwelled horses(Hari) of Indra are so well

versed and knowledgeable that just a mere word from Indra takes them towards harnessing. Also those horses are strong as Indra's weapon VAJRA.


So in the same manner the horses of the other horsemen should also be equally knowledgeable, strong educated. The actual hidden meaning in this explanation is about human being only who should be well

versed, knowledgeable and should be strong as Vajra in the chosen field.


#मराठी


ऋग्वेद १.७.२


ऋग्वेद 1.7.2


इंद्र इद्धर्योः सचा संमिश्ल आ वचोयुजा ।

इंद्रो वज्री हिरण्ययः ॥



इंद्र - इंद्र.


हर्योः - हरि नावाचे इंद्रदेवाचे दोन अश्व .


सचा - समिश्र.


आ+ संमिश्ल - जे जुंपुन जातात.



वचोयुजा - इंद्रदेवाचे एका शब्दा नी जे जुंपुन जातात.


इंद्रो - हरि नावांची,इंद्रदेवांचीं अश्वांची जोडी.


वज्री - वज्र नावाचे अस्त्र धारण करणारा.


हिरण्ययः - आभूषणानी सजवलेले.


भावार्थ :-


इंद्रदेवांची हरि नावाची आभूषणे नेसलेली अश्व जोडी एवढी शिक्षित आहे की मात्र इंद्रदेवांचा एका शब्दाने ते स्वतःला जुंपुन घेतात. ही जोडी वज्रा प्रमाणे इतकीच शक्तीशाळी आहे.


ह्याच प्रमाणाने इतर अश्वारूढ लोकांची अश्वे पण इतकेच शिक्षित आणी शक्तीशाली होण्याची अपेक्षा अाहे.या मंत्राचा गूढ रहस्य आहे की माणसाने इतकेच शिक्षित आणी शक्तिशाली बनले पाहिजे आणी आपल्या क्षेत्रान्तर्गत सर्व माहिती एकत्रित करूण घेतली पाहिजे.


#हिंदी


ऋग्वेद १.७.२


इंद्र इद्धर्योः सचा संमिश्ल आ वचोयुजा ।

इंद्रो वज्री हिरण्ययः ॥


अनुवाद:-


इंद्र - इंद्र देव।


हर्योः - हरि नामक इंद्र के दो घोड़े।


सचा - एक साथ।


आ+ संमिश्ल - रथ में एक साथ जुड़ने वाले।



वचोयुजा - इंद्र के वचन मात्र से ही जुड़ जाते है(घोड़े)।


इंद्रो - इंद्र के हरि नामक दो घोड़े।


वज्री - वज्र नामक अस्त्र धारण करने वाले इंद्र देव।


हिरण्ययः - रत्नों और आभूषणों से सजे हुए।


भावार्थ:-


इंद्र के 2 हरि नामक आभूषण युक्त घोड़े इतने सुशिक्षित और जानकार है कि इंद्र के मात्र एक शब्द से ही वह दोनों रथ से जुड़ जाते है।वह दोनों घोड़े इंद्र के वज्र की तरह मजबूत और शक्तिशाली है।


उसी प्रकार दूसरे घुड़सवारों के घोड़ों को भी उतना ही सुशिक्षित, शक्तिशाली और जानकार होना चाहिए। इस व्याख्या में वास्तविक छिपा अर्थ केवल मनुष्य के बारे में है

की मनुष्य किसी भी क्षेत्र में जुड़ा हो वहां उसे वज्र की तरह मजबूत होना चाइये और उस क्षेत्र की जानकारी के बारे में अच्छी तरह से सुशिक्षित और जानकार होना चाहिए।




https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1133050221104181249?s=19 za

 
 
 

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