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RV 122.17


As said earlier God is omnipotent and omniscient. The 3 types of Guna's(qualities) or three loks have been highlighted @ Rig Ved 1.22.17


इ॒दं विष्णु॒र्वि च॑क्रमे त्रे॒धा नि द॑धे प॒दं ।

समू॑ळ्हमस्य पांसु॒रे ॥


Translation:-


इ॒दम् - This.


विष्णुः- Vishnu.


वि च॑क्रमे - Specifically walk around.


त्रे॒धा - Of three types.


नि द॑धे - To project.


प॒दम् - Legs.


सम् ऊळ्हम् - Totally integrated.


अस्य - These.


पांसु॒रे - The mud filled place for standing on your legs.


Explanation:-This mantra says that whatever is visible all around, it is actually the wide courage and might of Vishnu. The three places where he placed his legs are Satvik, Rajas and Tamas. These are his three steps(Here we can also refer to the story of Raja Bali and Vishnu in the form of Vamaan avtaar). Dhyulok is Satvik, Antariksha lok is Rajas and Bhulok or Earth is full of Tamsik things. The activity in the space or antariksha lok is incognito or secret. Dhyulok is self illuminated whereas the activities of Earth are visible to us. Therefore we know only the activities of two loks, But that of Space is invisible since there is no air or light. Sometimes we see a small sparkle over there.


Deep meaning: As said earlier God is omnipotent and omniscient. The 3 types of Guna's(qualities) or three loks have been highlighted.



#मराठी



ऋग्वेद १.२२.१७


इ॒दं विष्णु॒र्वि च॑क्रमे त्रे॒धा नि द॑धे प॒दं ।

समू॑ळ्हमस्य पांसु॒रे ॥


भाषांतर :-


इ॒दम् - ह्यास.


विष्णुः - विष्णू ने.


वि च॑क्रमे - विशेष क्रमण करणे.


त्रे॒धा - तीन प्रकाराच्या.


नि द॑धे - प्रक्षेप करणे.


प॒दम् - पायांचे.


समू॑ ऊळ्हम् - संपूर्ण रूपात अंतर्भूत होणे.


पांसु॒रे - धूलिवंदन युक्त पाद स्थान.


अस्य - ह्या.


भावार्थ :- हे मंत्रात म्हटले आहे ह्या संपूर्ण ब्रह्मांडात जे काही दिसते,ते सगळं त्या व्यापक विष्णु चे पराक्रम आहे.त्याने ज्या तीन स्थानावर पाउल टाकले,ते आहेत सात्विक, राजस आणि तामस.(इकडे राजा बलि आणि विष्णू ची कथा चा संदर्भ देउ शकतो).द्युलोक सात्विक आहे,अंतरिक्ष लोक राजस आहे आणि भूलोक तमोगुण प्रधान आहे.इकडे त्यांचे तीन पाउल कार्य करतात.ह्या मध्ये अंतरिक्ष चा कार्य गुप्त आहे.द्युलोक प्रकाशित आहे.भूलोकात मनुष्य कार्य करता दिसतोच आहे. परंतु अंतरिक्षात वायु आणि विद्युत अदृश्य आहे.कधीकधी तिथली चमक दिसून येते.



#हिंदी



ऋग्वेद १.२२.१७


इ॒दं विष्णु॒र्वि च॑क्रमे त्रे॒धा नि द॑धे प॒दं ।

समू॑ळ्हमस्य पांसु॒रे ॥


अनुवाद :-


इ॒दम् - इसको।


विष्णुः -विष्णु ने।


वि च॑क्रमे - विशेष क्रमण किया।


त्रे॒धा - तीन प्रकार के।


नि द॑धे - प्रक्षिप्त किया।


प॒दम् - पैरों को।


समू॑ ऊळ्हम् - सम्यक रूप से अंतर्भूत हो जाना।


अस्य - इन।


पांसु॒रे - धूलि युक्त पाद स्थान।


भावार्थ :-इस मंत्र में बताया गया है कि इस संपूर्ण ब्रह्मांड में जो कुछ दिखता है,वह सब उस व्यापक विष्णु का पराक्रम है। उन्होने जिन तीन स्थानों में पैर रखें ,वे हैं सात्विक, राजस और तामस।द्युलोक सात्विक है,अंतरिक्ष लोक राजस है और भूलोक तमोगुण प्रधान है।यहां उनके वे तीन पग कार्य करते हैं(यहां राजा बलि और विष्णु की कथा का भी संदर्भ हो सकता है )।इसमें अंतरिक्ष का कार्य गुप्त है। द्युलोक प्रकाशित है। भूलोक में मनुष्य कार्य कर ही रहें हैं।इसी लिए दो लोकों का कार्य दिखता और समझता हैृ।किन्तु अंतरिक्ष की वायु अदृश्य है। विद्युत भी अदृश्य है।परन्तु कभी कभी उसकी चमक दिखाई जरूर देती है।



ୠଗ୍ ବେଦ ୧, ୨୨ ,୧୭

ईदम् विष्णुर्वि चक्रमे त्रेधा नि दंधे पदं

समंळहमस्य पांसुरे ।

ईदम-ଏହାକୁ

विष्णु- ବିଷ୍ଣୁ

वि चक्रमे-ବିଶେଷ କ୍ରମରେ

त्रेधा-ତିନି ପ୍ରକାର

नि दंधे-ପ୍ରକ୍ଷେପଣ କରି

पदम्-ପାଦ

समू उळहम् - ସମାନ ରୂପେ ଅନ୍ତର୍ଭୁତ ହେବା

अस्य -ଏହି

पासुंरे-ଧୂଳି ଯୁକ୍ତ ପାଦ


ସମଗ୍ର ବ୍ରହ୍ମାଣ୍ଡରେ ଯିହା ଦେଖା ଯାଉଛି ତାହା ସେହି ଈଶ୍ବରଙ୍କ ଶକ୍ତି।ସେ ପାଦ ରଖିଥିବା ତିନୋଟି ସ୍ଥାନ ହେଉଛି ସତ୍ବ ,ରଜ ଏବଂ ତମ ।ଦ୍ଯୁଲୋକ ସାତ୍ବିକ ,ଅନ୍ତରୀକ୍ଷ ରାଜସିକ ଓ ଭୂଲୋକ ତମଗୁଣ ପ୍ରଧାନ ଅଟେ। ଏଠାରେ ଅନ୍ତରୀକ୍ଷ ର କାର୍ଯ୍ୟ ଗୁପ୍ତ ,ଦ୍ଯୁଲୋକ ପ୍ରକାଶିତ ଏବଂ ଭୂଲୋକରେ ମନୁଷ୍ଯ କାମ କରୁଥାଏ ।ତେଣୁ ଦୁଇଟି ଲୋକର କାର୍ଯ୍ଯ


ଦୃଶ୍ଯମାନ ହୋଇଥାଏ । ଅନ୍ତରୀକ୍ଷର ବାୟୁ ଅଦୃଶ୍ଯ, ବିଦ୍ଯୁତ ମଧ୍ୟ ଅଦୃଶ୍ଯ, କିନ୍ତୁ ବେଳେବେଳେ ଏହାର ଉଜ୍ବଳତା ନିଶ୍ଚୟ ଦୃଶ୍ଯମାନ ହୁଏ।





https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1257675617660661760?s=19

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