We all should learn from Suryadev to treat everyone equally, Just as Suryadev distributes his sunshine equally to entire Universe according to Rig Ved 1.22.8
सखा॑य॒ आ नि षी॑दत सवि॒ता स्तोम्यो॒ नु नः॑ ।
दाता॒ राधां॑सि शुंभति ॥
Translation:-
सखा॑यः - Oh friendly Priest!
आ निषी॑दत - Come and sit.
सवि॒ता - Savitadev.
मि स्तोम्यः - Hymns to be sung soon.
नः - For all of us.
दाता॒ - The giver.
राधां॑सि - Of Wealth.
शुंभति - To shine.
Explanation:- This mantra says Suryadev distributes his Wealth evenly amongst trees,vegetation etc.We should also Praise him for this deed as early as possible.
Deep meaning:- We all should learn from Suryadev to treat everyone equally,just as Suryadev distributes his sunshine equally to entire Universe.
#मराठी
ऋग्वेद १.२२.८
सखा॑य॒ आ नि षी॑दत सवि॒ता स्तोम्यो॒ नु नः॑ ।
दाता॒ राधां॑सि शुंभति ॥
भाषांतर :-
सखा॑यः - हे मित्रवत् ऋत्विक!
आ निषी॑दत - येऊन बसणे.
सवि॒ता - सवितादेव.
ऩु स्तोम्यः - शीघ्र स्तुति करण्यास योग्य.
नः॑ - आमच्या सर्वांसाठी.
दाता॒ - देणारे.
राधां॑सि - धनाची.
शुंभति - प्रकाशित होॆणे.
भावार्थ :-ह्या मंत्रात म्हटले आहे की सूर्यदेव आपली संपत्ती म्हणजे प्रकाश,ते सर्व वृक्ष,वनस्पति इत्यादी प्राणीमात्राला समान रूपात प्रदान करतात.अाम्हाला त्यांची स्तुति केली पाहिजे.
गूढ रहस्य: आम्हाला पण सूर्यदेव सारखे आपली संपत्ती सर्वांत वितरित केली पाहिजे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२२.८
सखा॑य॒ आ नि षी॑दत सवि॒ता स्तोम्यो॒ नु नः॑ ।
दाता॒ राधां॑सि शुंभति ॥
अनुवाद :-
सखा॑यः - हे मित्रवत् ऋत्विजों!
आ निषी॑दत - आकर बैठिये।
सवि॒ता - सवितादेव।
ऩु स्तोम्यः - शीघ्र स्तुति करने योग्य।
नः॑ - हम सबके लिए।
दाता॒ - देनेवाले।
राधां॑सि - धन को।
शुंभति - प्रकाशित हो रहें हैं।
भावार्थ :-इस मंत्र में कहा गया है कि सूर्य देव अपनी संपत्ति अर्थात प्रकाश को सभी वृक्ष,वनस्पति आदि प्राणिमात्र को समान रूप से प्रदान करते हैं।हम सबको उनकी स्तुति करनी चाहिए।
गूढ रहस्य: हम सबको भी सूर्यदेव से सीख लेनी चाहिए और सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
RigVedPositivity
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