There is a scientific angle given in this Mantra, Also here it is said that Parmatma(The Prakash) is the creator of entire Universe as per Rig Ved 1.23.12
ह॒स्का॒राद्वि॒द्युत॒स्पर्यतो॑ जा॒ता अ॑वंतु नः ।
म॒रुतो॑ मृळयंतु नः ॥
Translation:-
ह॒स्का॒रात् - Luminous.
विद्युतः - Lightening.
अतः - In the space.
जा॒ताः - To Produce.
अ॑वंतु - To protect.
नः - Us.
म॒रुतः - Marudgans
मृळयंतु - To provide happiness.
Explanation:-This mantra tells us about the origin of Marudgans. It says that they evolved through luminous Lightening. Marudgans are requested to provide happiness and security to the Yajmans. It is a scientific fact that nitrogen produced during the lightening ,not only nourishes the soil but is also necessary to protect our life.
Deep meaning: There is a scientific angle given in this Mantra, Also here it is said that Parmatma(The Prakash) is the creator of entire Universe.
#मराठी
ऋग्वेद १.२३.१२
ह॒स्का॒राद्वि॒द्युत॒स्पर्यतो॑ जा॒ता अ॑वंतु नः ।
म॒रुतो॑ मृळयंतु नः ॥
भाषांतर :-
ह॒स्का॒रात् - प्रकाशमान.
विद्युतः - आकाशात विशेष रूपात प्रकाशित.
अतः - अंतरिक्ष मध्ये.
जा॒ताः - उत्पन्न.
अ॑वंतु - रक्षण करणे.
नः - आमचे.
म॒रुतः - मरूदगण.
मृळयंतु - सुख प्रदान करणारे.
भावार्थ :- ह्या मंत्रात म्हटले आहे की मरूदगणांची उत्पत्ती प्रकाशित होणारी विद्युत पासून झाली आहे.मरूदगणां निवेदन केलेले आहे की ते यजमानांचे रक्षण आणि आनंद दोघे प्रदान करावेत.वैज्ञानिक मत आहे की आभाळात विद्युत कडकल्यावर नाइट्रोजन सारखे उर्वरक पौष्टिक पदार्थ आमच्या जीवन रक्षणा साठी उपयोगी ठरतो.
गूढार्थ: विद्युत परमात्माची निर्मिति आहे.ब्रह्मांड ची प्रत्येक वस्तुचे सर्जक स्वयं प्रकाशित परमात्मा अाहेत.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२३.१२
ह॒स्का॒राद्वि॒द्युत॒स्पर्यतो॑ जा॒ता अ॑वंतु नः ।
म॒रुतो॑ मृळयंतु नः ॥
अनुवाद :-
ह॒स्का॒रात् - दीप्तिमान।
विद्युतः - आकाश में विशेष रूप से प्रकाशित। ।
अतः - अंतरिक्ष में।
जा॒ताः - उत्पन्न।
अ॑वंतु - रक्षा करना।
नः - हमें।
म॒रुतः - मरूदगण।
मृळयंतु - सुख प्रदान करना।
भावार्थ :-इस मंत्र में कहा गया है कि मरूदगण की उत्पति प्रकाशित होने वाली विद्युत से हुई है।मरूदगणों से निवेदन किया गया है कि वे यजमानो की रक्षा करें और उन्हें आनंद प्रदान करें। वैज्ञानिक मत भी यही बताता है कि बिजली चमकने से नाइट्रोजन जैसे उर्वरता बढाने वाले पौष्टिक पदार्थ हमारे जीवन रक्षण के लिए उपयोगी है।
गूढार्थ: विद्युत परमात्मा की देन है।ब्रम्हांड की प्रत्येक वस्तु के सर्जक स्वयं प्रकाशित परमात्मा ही हैं।
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