Surya Dev is the one who gives us Prosperity and Progress. He Nourishes the entire living being according to Rig Ved 1.23.13
आ पू॑षञ्चि॒त्रब॑र्हिष॒माघृ॑णे ध॒रुणं॑ दि॒वः ।
आजा॑ न॒ष्टं यथा॑ प॒शुं ॥
Translation:-
आ - To bring.
पू॑षन् - Poosha Dev.
चित्रब॑र्हिष॒म् - Along with strange looking grass.
आघृ॑णे - Oh the luminous One!
ध॒रुणम् - To carry.
दि॒वः - From Dhyulok.
अज - Oh the one travelling all around!
न॒ष्टम् - To miss or loose.
यथा॑ - That way.
प॒शुम् - Animal.
आ - To bring.
Explanation:-This mantra describes the qualities of Pooshadev.He is full of phenomenal radiance and strength to carry things. He travels all around universe. Just as a person searches for his lost or missing animals similarly he is requested to seach the Somlata for Dhyulok. Since Somlata grows on a high altitude place Pooshadev is requested to travel to Dhyulok.
Deep meaning:- Surya Dev is the one who gives us Prosperity and Progress. He Nourishes the entire living being.
#मराठी
ऋग्वेद १.२३.१३
आ पू॑षञ्चि॒त्रब॑र्हिष॒माघृ॑णे ध॒रुणं॑ दि॒वः ।
आजा॑ न॒ष्टं यथा॑ प॒शुं ॥
भाषांतर :-
आ - आणून देणे.
पू॑षन् - पूषा देव.
चित्रब॑र्हिष॒म् - विचित्र दर्भ युक्त.
आघृ॑णे - हे आगत दीप्ति युक्त.
ध॒रुणम् - धारण करणारे.
दि॒वः - द्युलोक हून.
अज - हे सर्वत्र जाणारे.
न॒ष्टम् - गायब होणे.
यथा॑ - ज्या प्रकारे.
प॒शु - पशू.
आ - घेउन येणे.
भावार्थ :-ह्या मंत्रा मध्ये पूषा देवां बद्दल सांगितलेले आहे की ते अभूतपूर्व तेज आणि धारण शक्ती संपन्न आहेत.ते सगळी कडे भ्रमण करतात. ज्या प्रकारे कोणी आपली हरवून गेलेले पशु शोधून काढतात त्या प्रमाणे पूषा देवांना आग्रह केला आहे की त्यानी द्युलोकात जाउन सोमलता शोधून आणावे .सोमलता ऊंची वरच् सापडते, म्हणून त्याना द्युलोक वरून ते आणावे अस आग्रह केला आहे.
गूढार्थ: पोषण करणारे पूषा देव किंवा भास्कर भगवान सोमलते ने तृप्त होउन,यजमानांचे विकास व उन्नत्ति करूण देतात, हा मंत्राचे संदेश आहे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२३.१३
आ पू॑षञ्चि॒त्रब॑र्हिष॒माघृ॑णे ध॒रुणं॑ दि॒वः ।
आजा॑ न॒ष्टं यथा॑ प॒शुं ॥
अनुवाद :-
आ - लाना।
पू॑षन् - पूषा देव।
चित्रब॑र्हिष॒म् - विचित्र दर्भ युक्त।
आघृ॑णे - हे आगत दीप्ति युक्त।
ध॒रुणम् - धारण करना।
दि॒वः - द्युलोक से।
अज - हे सर्वत्र जानेवाले।
न॒ष्टम् - गुम होना।
यथा॑ - जिस प्रकार।
प॒शुम् - जानवर।
आ - ले आना।
भावार्थ :-इस मंत्र में पूषा देव के बारे में कहा गया है कि वे अभूतपूर्व तेज तथा धारण शक्ति से संपन्न हैं।वे सभी जगह भ्रमण करते हैं। उनसे आग्रह किया गया है कि वे द्युलोक जाकर सोमलता को ढूँढे जैसे किसान अपने खोये हुए पशु ढूंढ़ता है। सोमलता ऊंचाई पर मिलता है,इसलिए उसे द्युलोक से लाने की बात कही गई है।
गूढार्थ:पूषा देव अर्थात पोषण करनेवाले भगवान भास्कर सोमलता से तृप्त होकर हमें ऊंचाईयों पर पहुचाएं,हमारी उन्नति और विकास की ओर ले जायें।
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#ଓଡ଼ିଆ
ऋग्वेद १.२३.१३
आ पू॑षञ्चित्रब॑र्हिषमाघृ॑णे धरुणं॑ दिवः ।
आजा॑ नष्टं यथा॑ पशुं ॥
आ - ଆଣିବାକୁ
पू॑षन् - ପୁଷାଦେବ
चित्रब॑र्हिषम् - ବିଚିତ୍ର କୁଶ ଯୁକ୍ତ
आघृ॑णे - ହେ ଆଗତ ଦିପ୍ତୀଯୁକ୍ତ
धरुणम् - ଧାରଣ କରିବା
दिवः - ଦ୍ଯୁଲୋକରୁ
अज - ହେ ସର୍ବତ୍ର ଗମନକାରୀ
नष्टम् - ନିଖୋଜ
यथा॑ - ଯେପରି
पशुम् -ପଶୁ
ଭାବାର୍ଥ -ଏହି ମନ୍ତ୍ରରେ ପୂଷା ଦେବଙ୍କ ବିଷୟରେ କୁହାଯାଇଛି ଯେ ସେ ସବୁ ସ୍ଥାନକୁ ଯାତ୍ରା କରିପାରନ୍ତି। ଚାଷୀ ହଜିଯାଇଥିବା ପଶୁ କୁ ଯେପରି ଖୋଜି ଆଣିଥାଏ ସେହିପରି ସୋମଲଟା ଖୋଜିବା ପାଇଁ ତାଙ୍କୁ ଦ୍ଯୁଲୋକ ଯିବାକୁ ଅନୁରୋଧ କରାଯାଇଛି। ସୋମଲଟା ଉଚ୍ଚସ୍ଥାନ ରେ ମିଳିଥାଏ, ତେଣୁ ଏହାକୁ ଦ୍ଯୁଲୋକରୁ ଆଣିବାର କଥା କୁହାଯାଇଛି ।
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