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Writer's pictureAnshul P

RV1.25.19

Updated: Jul 7, 2020


Prayer has lots of Power. Parmatma is Happiness personified. He protects your life, Your body, And your Yagya.Prayer done through devotion can do the unthinkable @ Rig Ved 1.25.19


इ॒मं मे॑ वरुण श्रुधी॒ हव॑म॒द्या च॑ मृळय ।

त्वाम॑व॒स्युरा च॑के ॥


Translation:-


इ॒मम् - This.


मे॑ - Me.


वरुण - Oh Varundev!


श्रुधी॒ च - To listen.


हव॑म् - To call out.


अद्या - Today.


मृळय - To make one feel happy.


त्वाम् - You.


अव॒स्युः - Desiring security.


आ च॑के - To pray in front.


Translation:-This mantra is addressed to Varundev. Here Varundev is requested to listen to the pleading of his devotees. Devotee requests him to provide happiness. He asks Varundev to bestow his benevolence and keep him safe.


Deep meaning: Prayer has lots of Power. Parmatma is Happiness personified. He protects your life, Your body, And your Yagya.Prayer done through devotion can do the unthinkable.



#मराठी


ऋग्वेद १.२५.१९


इ॒मं मे॑ वरुण श्रुधी॒ हव॑म॒द्या च॑ मृळय ।

त्वाम॑व॒स्युरा च॑के ॥


भाषांतर :-


इ॒मम् - ह्या.


मे॑ - माझे.


वरुण - हे वरूण!


श्रुधी॒ च - ऐकणे.


हव॑म् - आवाहन करने.


अद्या - आज.


मृळय - प्रसन्न करणे.


त्वाम् - आपल्यास.


अव॒स्युः - सुरक्षा प्राप्तिची इच्छा.


आ च॑के - समोरून स्तुति करणे.


भावार्थ :-हा मंत्र वरूणदेवांना संबोधले असून हे म्हटले आहे की हे वरूणदेव!आपण माझी प्रार्थना ऐकून मला आनंद प्रदान करा.आपण माझ्यावर कृपा करून सुरक्षा प्रदान करावी.


गूढार्थ: प्रार्थनेत फार शक्ति असते.परमात्मा तर आनंदस्वरूप आहेत,ते यज्ञांना,प्राणाची,शरीराची सुरक्षितता वर लक्ष्य ठेवतात कारण भक्तिने केलेली प्रार्थना सगळं संभव करते.



#हिंदी


ऋग्वेद १.२५.१९


इ॒मं मे॑ वरुण श्रुधी॒ हव॑म॒द्या च॑ मृळय ।

त्वाम॑व॒स्युरा च॑के ॥


अनुवाद :-


इ॒मम् - इस।


मे॑ - मेरी।


वरुण - हे वरूण!


श्रुधी॒ च - सुनना।


हव॑म् - पुकार को।


अद्य - आज।


मृळय - प्रसन्न करना।


त्वाम् - आपको।


अव॒स्युः - सुरक्षा प्राप्ति की इच्छा रखना।


आ च॑के - सामने से स्तुति करना।


भावार्थ :-इस मंत्र में वरूणदेव को संबोधित करते हुए कहा गया है कि हे वरूणदेव! आप मेरी प्रार्थना सुने तथा मुझे आनंद प्रदान कीजिए। आप मुझ पर कृपा करें और मुझे सुरक्षा प्रदान करें।


गूढार्थ:प्रार्थना में सारी शक्ति होती है। परमात्मा तो आनंदस्वरूप हैं,वे यज्ञ को,प्राण को,शरीर को हर तरह की सुरक्षा प्रदान करते हैं।भक्ति से की गई प्रार्थना सब कुछ संभव कराती है।


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